एक फोटोग्राफर जिसने बदली रिहाइशी इमारतो की तस्वीर

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एक फोटोग्राफर जिसने बदली रिहाइशी इमारतो की तस्वीर

Deepak Chauhan 07-05-2019 14:54:12

एक फोटोग्राफर जिसने बदली रिहाइशी इमारतो की तस्वीर 


पहले कनाडा फिर जर्मनी और बाद में अमेरिका जैसे बड़े विकसित देशो में अपने जीवन को एक नया आयाम देने के बाद 1994 में  मैग्ज़ीन स्टर्न के लिए काम करने हॉंकॉंग आये फोटोग्राफर माइकल वुल्फ।  यूँ तो वुल्फ को अपने कई अलग तरह की फोटोग्राफी के लिए जाना जाता है। जिनके लिए उन्हें कई बार बड़े खिताबों से भी सम्मानित किया गया। 


वुल्फ सम्मानित रूप में 

उनका काम कई बार अलग ही मुद्दे पर दिखाई दिया।  अगर बात करे कोई ख़ास और बड़े सम्मान की तो उनको सन 2004 में समकालीन समस्या को लेकर प्रथम पुरूस्कार वर्ल्ड प्रेस द्वारा दिया गया।  जिसमे उन्होंने हॉंकॉंग की फ़ैक्टरिओं में काम कर रहे मजदूरों की तस्वीरें लेकर स्टर्न मैगजीन में अपने ही लेख के साथ पब्लिश कराया था।  


प्रोजेक्ट आर्किटेक्टर ऑफ़ डेंसिटी

वुल्फ ने 2002 में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद वुल्फ ने बाद में हांगकांग को एक अलग नजरिये से देखना शुरू किया। जिसमे उन्होंने हांगकांग में बानी इमारतों को अपना मुद्दा बना कर तस्वीरें लेनी शुरू की।  ये काम उन्होंने लगातार 11 वर्षो तक जारी रखा।  जिसमे उन्होंने इमारतों में छुपी सुंदरता को खुजाना शुरू किया और एक अलग ही दृष्टि कोण से उन्हें एक अनोखा अंजाम दिया। इन्होने कभी इस बात को कभी नजर अंदाज नहीं किया की इसमें हजारो लोगो का जीवन कितना कठिन है। साथ ही
11 साल तक चले प्रोजेक्ट आर्किटेक्टर ऑफ़ डेंसिटी के लिए उन्हें जाना जाता है।  इसके उन्होंने यहां के रिहाईशी ब्लॉक की तस्वीरें लीं और उनकी इस तरह काट छांट की कि वो बेहद घनी दिखती हैं। हांगकांग में बने सभी टावरों की तस्वीरें इतनी अमूर्त दिखाई पड़ती है जिसे देख कोई भी व्यक्ति मोहित हो जाये। अगर थोड़ा बारीकी से देखा जाये तो इन इमारतों में रहने वाले लोगो का जीवन देखा जा सकता है जिसमे बाहर पड़ी तौलिया, आधी खुली खिड़की या फिर सुखाने के लिए फैलाये गयी बनियानें। 2014 के एक प्रेस इंटरव्यू में वुल्फ ने बताया था की

"एक फ़ोटो पत्रकार के रूप में मुझे अपनी तस्वीरों में कंपोजिशन से परिचित था और दर्शक को तस्वीरों में बांध लेने का काम करना मुझे बेहद पसंद था. जबतक सिर पर आसमान है आप वहां देखते हैं और कुछ तस्वीरें ज़ेहन में रह जाती हैं."

"आर्किटेक्चर के साथ भी ऐसा ही है. अगर आसमान और क्षितिज सामने है तो आप इसके आकार प्रकार के बारे में लगभग अनुमान लगा लेते हैं और कोई भ्रम नहीं रहता. इन तस्वीरों को इस तरह काट छांट मैं केवल इमारतों को नहीं दिखा रहा होता हूं, बल्कि मैं एक रूपक बना रहा होता हूं."

'हॉग कॉग: फ़्रंट डोर/बैक डोर' जैसी अपनी कुछ कृतियों में वो थोड़ा पीछे जाते हैं और पूरे शहर का विहंगम जायजा लेते हैं.

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